नई दिल्ली। मोदी सरकार अगले सोमवार यानी 9 दिसंबर को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश करेगी. एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को ही मोदी कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी थी. पहले कहा जा रहा था कि सरकार इसी हफ्ते इसे संसद में पेश करेगी, लेकिन अब सरकार ने सोमवार को लोकसभा इसे पेश करने का फैसला किया है. गृह मंत्री अमित शाह इस बिल को संसद में पेश करेंगे. सरकार की कोशिश इस बिल को संसद के प्रा शीतकालीन सत्र में पास करा लेने की होगी. विपक्ष इस बिल का जोरदार विरोध कर रहा है. बीजेपी ने इस बिल को पास कराने के लिए सांसदों की अधिक से अधिक उपसथिति सुनिश्चत करने को कहा है. नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए नागरिकता संशोधन बिल 2019 लाया जा रहा है इससे नागरिकता देने के नियमों में बदलाव होगा. इस संशोधन विधेयक से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारत की नागरिकता हासिल करने का रास्ता आसान हो जाएगा. भारत की नागरिकता हासिल करने को अभी देश में 11 साल रहना जरूरी है, लेकिन नए बिल में इस अवधि को 6 साल करने की बात है. कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इस बिल के विरोध में हैं. यहां तक कि बिहार में एनडीए की घटक जनता दल यूनाइटेड और असम गण परिषद भी इस बिल के खिलाफ में हैं. असम गण परिषद गृह मंत्री अमित शाह से भी इस बिल का विरोध कर चुकी है. विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता बाट रही है. काग्रेस का कहना है कि सरकार इस बिल के जरिए 1985 के असम अकॉर्ड का उल्लंघन कर रही है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी या फिर अन्य विपक्षी नेता सभी ने इस बिल का विरोध करने का फैसला किया है.
Friday, December 6, 2019